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“खुड़काश्रित:” किस वातव्याधि को कहा गया है
“Khudakāshritah” has been said for which vāta vyādhi
“क्षामस्वर:” किस अर्श का लक्षण है ?
“Kshamaswar” is the symptom of which arsha ?
सुश्रुतानुसार चर्मकील में दोष प्राधान्य है
Dosha pradhānya in Charmakīla according to Sushruta
प्रत्याधमान में दोष है
Dosha in pratyādhamāna is
सुश्रुत अनुसार गुदस्थित तीनों वलियों के बीच कितने कितने अंगुल का अन्तर होता है ?
According to Sushruta, the difference between the all three Valis situated in rectum (Guda)
कूर्च के आकार के अर्श हैं
Kūrcha ākāra arsha are
एक वर्ष पुराना वातरक्त होता है
One year old Vāta Rakta is
वट के अंकुर, मूँगा तथा गुञ्जाफल के समान स्वरूप निम्न में से किस अर्श का बताया गया है ?
Vatānkura, mūngā, and Gunjā phala type Arsha is which of the following
पनसास्थि स्वरूप युक्त अर्श है –
Arsha which resembles panasasthi (पनसास्थि)
“दौर्बल्यं सदनं तन्द्रा वैवर्ण्य च” किसका लक्षण है ?
“daurbalyam sadanam tantra vaivarnya ch” is symptom of –
पादहर्ष में दोष प्राधान्य है
Dosha pradhānya in pāda harsha
“कदम्ब सदृश्य” किस अर्श का स्वरूप माना गया है ?
“Kadamba sadrishya” is which type of arsha
जलौका वक्त्र सदृश्य अर्श होता है –
Arsha which resembles jalauka vaktra is –
” विमुक्तपार्श्वह्रदयं ” किसका लक्षण है ?
“Vimuktaparshvahrudyam” is the symptom of ?
“स्वेदासृक्स्त्रावणश्चापि पञ्चधा चेष्टयत्यपि” किस वायु का कर्म है
“Svedāsrikastrāvanashchapi panchadhā cheshtyatyapi” is karma of which vāyu
“यवमध्यानी” किस अर्श का विशिष्ट लक्षण है ?
“Yavamadhyăni” is specific symptom of which arsha
“गदगद” में किस दोष का प्राधान्य है ?
Which dosh is predominant in “Gadgad” ?
“शिथिलौ स्विन्नौ शीतलौ सुविपर्ययो” किसका पूर्वरूप है
“Shirhilau svinau shītalau suviparyayo” is Pūrvarūpa of
निम्नलिखित युग्मो में से कौनसा युग्म सही सुमेलित नहीं है ?
Which of the following pair is not correctly matched
“मुक्तसन्धिप्रबन्धनं ” किसका लक्षण है ?
“Muktasandhiprabandhan” is symptom of ?
………….. तं विद्यान्मुक्तसंधिप्रबंधनम्।’
“………….. tam vidhyānamuktasandhiprabandhanam”
सानुनासिकवाक्यत्वं लक्षण है-
Sānunāsikavākyatavam is the symptoms of
कितने वर्ष पुराना अर्दित असाध्य माना गया है ?
How many years old ardit is considered incurable (asadhya) ?
पार्ष्णि प्रत्यंगुलिनां तू कण्डरा या अनिलार्दिता’ किसके सन्दर्भ में है
“Pārshni pratyamgulināma tu kandarā ya anilārditā” is indicative the context of
जो अर्श त्रिदोषयुक्त हों किन्तु दोषों के लक्षण अल्प हो उन्हें कहते है
Those arsha which are Tridosha yukta but with less symptoms are
किस आचार्य ने वात को “रोगराटसमूह” कहा है ?
Vata is described as “rogratsamuha” by which acharya?
आवृत्य सकफो वायु: धमनी : शब्दवाहिनी:’ किससे सम्बंधित है
“Āvritya sakapho vāyuh dhamanih shabdavāhinih” is related to
चिकित्सा की दृष्टि से सहज अर्श होते है। सुश्रुत
Sahaja arsha as per treatment are(sushruta)
शुक्र दोष की उत्पत्ति में कारण है –
Cause of Shukra dosha Utapatti
ग्रंथि मंदरूजो” किस स्थानगत वायु का लक्षण है ?
“”Granthi mandarujo” is symptom of which sthanagat vayu ?
सुई के मुख के समान तीखी नोक वाले अर्श होते हैं
Like the sharp mouth of a needle arsha is
अंशदेशस्थितों वायु: शोषयित्वांससबन्धनम् ‘
“Ansadeshāsthirto vāyuh shoshayitvāsasabandhanam”
सुश्रुत अनुसार चर्मकील के कितने प्रकार है ?
According to Sushruta types of Charmakīla are
महामूलानि’ किस अर्श का लक्षण है
“Mahāmūlāni” is symptom of which arsha
स्वेद असृक् स्रावण किस वायु का कार्य है
Sveda asrika srāvana is karma if which vāyu
निम्न में से सहज अर्श का वर्ण होता है –
Varna of sahaja arsha is
किस स्थानगत अर्श “गण्डूपदमुखी” है
Which sthāna gata Arsha is Gandupadamukhi
बाह्यायाम से पीड़ित में यदि वक्ष,कटि व् ऊरु का भन्जन हो जाए तो वह …….हो जाता है ।
A patient of Bāhyāyāma if suffers from fracture of Vaksha, Kati and Uru then it is…….
“मलस्याध: पिड़नात प्रथमा ……… “
“Malasyadhah pidanat prathma …….. “
“दुर्दर्शनानि परुषाणि पाण्डूनि” किसका लक्षण है
“Durdarshanāni parushāni pānduni” is the symptom of
“ग्रीवाचिबुकदन्तानां तस्मिन् पार्श्वे तु वेदना” यह किस व्याधि का लक्षण है
“GrīvaChibukaDantānām tasmina pārshave tu Vedanā” is symptom of which vyādhi
जो अर्श दो दोषो से उत्पन्न तथा गुदनलिका की द्वितीय वली में होते है , उनकी साध्यसाध्यता क्या होती है ?
The arsha which are developed from Dosha and are in second valī, their sādhyāsādhyatā would be
सुश्रुत के अनुसार निम्न में से किस गुद वली में स्थित अर्श की चिकित्सा नही करनी चाहिए।
Arsha in which of the following gudāvali should not be treated
सुश्रुत के अनुसार अपतंत्रक में दोष प्रधान होता है
Dosha pradhānya in Apatāmtraka is
सुश्रुत अनुसार संसर्ग या द्वंदज अर्श कितने प्रकार का होता है ?
According to Sushrut, Sansarj or dwandaj arsha is of how many types ?
एक वर्ष पुराना अर्श होता है
One year old arsha is
“दण्डापतानक” है
“Dandapatānaka is
सुश्रुत अनुसार “गोस्तनाकाराणि न भिद्यन्ते न स्रवन्ति” किस अर्श का स्वरूप है ?
According to Sushrut, “Gostanakarani na bhidyate na stravanti” is characteristic of which arsha ?
सुश्रुत के अनुसार गुद का प्रमाण है
According to Sushruta , pramāna of guda is –