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“मनबुद्धिदेहसंवेजनं हितम्” क्रिया निम्न में इष्ट है
“Manabuddhidehasamvejanam hitam” this kriya is ishta in
चरकसंहितानुसार, रिक्त स्थान की पूर्ति करे- “दुश्चिकित्सयो हयपस्मारश्चिरकारी कृतास्पाद:। तस्मात् …….नं प्रायशः समुपाचरेत्।।”
According to Charaka Samhitā, fill in the blank – “Dushchikitsyo hayapsmārashchirakārī krutāspadah , tasmāt ……… enam prāyashah samupācharet”
अपस्मार चिकित्सा में उद्वर्तनार्थ प्रयुक्त योग में वर्णित ‘अपेतराक्षसी’ से कौनसे औषधी द्रव्य का ग्रहण करना चाहिए ? (चरक)
“Apetarākshasī” mentioned among the dravya of Udvartana yoga for Apasmāra Chikitsā is
रूद्र के प्रमथ नामक गणों की पूजा करने वाला व्यक्ति किस रोग से मुक्त हो जाता है
The worship of prathamās, the attendants of lord Rudra, makes the person free from which disease
वचादि घृत किस दोषजन्य अपस्मार में हितकारक होता है ?
Vachadi ghrut is beneficial in which doshaj apasmar ?
अपस्मार के प्रारंभिक दोषों का प्रकोप काल
Prakopa kāla of prārambhika dosha of Apasmāra
लशुनाद्य घृत का प्रयोग किया जाता है
Lashunādhya ghrita is used in
चरक अनुसार सैंधवादि घृत का रोगाधिकार है –
According to Charak, rogadhikar of saindhvadi ghrut is –
शीत अंग कौनसे अपस्मार का लक्षण हैं ?
Shīta amga is lakshana of Apasmāra
उन्माद की चिकित्सा में औषधचूर्णों के नस्यार्थ एवम् अंजनार्थ प्रशस्त भावना द्रव्य है
Bhāwnā dravya in the medicine for nasya and Anjana in the treatment of Unmāda
आमलकादि घृत किस दोषज अपस्मार का नष्ट करता है ?
Aamalakadi ghrut destroys which doshaj apasmar ?
अतत्वाभिनिवेश में शतावरी का प्रयोग किसके साथ करते है ?
Shatāvari is used with what in Atatvābhinivesha
“रक्तविप्लुताक्षं द्विजातिवैद्यपरिवादिनम्” की उन्माद का लक्षण है
“Raktaviplutākshama dvijātivaidyaparivādinam” is the symptom of which unmāda
“रजस्तमोभ्यां वृद्धाभ्यां बुद्धौ मनसि चावृते” किस व्याधि का लक्षण है ?
“Rajastamobhyam vruddhabhyam buddho manasi chaavrutte” is the symptom of which disease ?
पलंकषादी तैल का चरकोक्त रोगाधिकार कौनसा है ?
Palamkashādi taila Rogādhikāra is
पित्तज उन्माद की चिकित्सा है
Treatment of pittaja unmāda is
अतत्वाभीनिवेश की चिकित्सा है –
Treatment of atatvabhinivesh is –
“मलिनाहारशीलस्य वेगान् प्राप्तानिगृह्नत:” विशेष रूप से निदान है
“Malināhārashīlasya vegāna prāptānigrihanatah” is the nidāna of
कल्याणक घृत के कुल घटकों की संख्या है
Total contents of kalyānaka ghrita are
निम्न में से किस अपस्मार में रसायन चिकित्सा करते है ?
In which of the following apasmar rasayan chikitsa is done ?
किस व्याधि में रोगी नित्य और अनित्य हितकर और अहितकर वस्तुओं में अपनी बुद्धि विषम रूप में करता है
In which disease does the a patient makes perverted judgements regarding nitya, anitya and hitakara, ahitkara objects
“लाक्षारसनिभं शीतं” किस घृत के सन्दर्भ में कहा गया है ?
“Laksharasanibham shitam” is said with reference to which ghrut ?
बस्त मूत्र नस्य का प्रयोग किस व्याधि में किया जाता है
Bastya mūtra nasya should be used in which disease
अपस्मार के कौनसा तैल नस्य के लिए उपयोगी है ?
Which tail is used for nasya in apasmar ?
अपस्मार चिकित्सा में “प्लंकषादि तैल” के निम्न प्रयोग का विधान है
Usage of plamkashādi oil is as
चरक अनुसार आगन्तुज उन्माद की चिकित्सा है –
According to Charak, treatment of Aagantuj unmada is –
कितने वर्ष तक रखने पर घृत में उग्रगंध आ जाती है
In how many years does ghrita gets ugragamdha
चरक अनुसार अपस्मार की चिकित्सार्थ किस घृत का प्रयोग प्रतिदिन वर्णित है ?
According to Charak, which ghrut should be used everyday for the treatment of apasmar ?
उन्माद में शोधन के पश्चात् आचार विभ्रंश होने पर क्या चिकित्सा करनी चाहिए ?
In Unmāda on having āchāra vibhransa, after shodhana which treatment should be done
चरकानुसार उन्माद के भेद है
Types of unmāda according to Charaka
सन्निपातज अपस्मार की साध्यासाध्यता होती है –
Sadhyasadhyata of sannipataj apasmar is –
आवृत्त मार्ग उन्माद में क्या चिकित्सा करनी चाहिए ?
What treatment should be done in aavrutta marga unmada ?
उन्माद के सामान्य लक्षणो में से प्रथम है
Prathama sāmānya lakshana of unmāda is
“दोषवेगे च विगते सुप्तवत् प्रतिबुद्धयते” किस व्याधि का पूर्वरूप है ?
“doshavege ch vigate suptavat pratibuddhyate” is the purvaroop of which disease ?
“अमर्त्यवाग् विक्रमवीर्यचेष्टो ज्ञानादिविज्ञानबलादिभिर्य:” किस उन्माद का लक्षण है ?
“Amartavag vikramaviryacheshto gyanadivigyanabaladibhirya” is the symptom of which unmada ?
चरकानुसार बुद्धि का निवास स्थान है
Nivāsa sthāna of buddhi according to Charaka is
अहित अशुचि भोजन का सेवन किस व्याधि का हेतु कहा गया है ?
Ahita, Asuchi bhojan is the reason for which disease
“विरुद्धभैषज्य विधिर्विवर्ज्य:” किस उन्माद की चिकित्सा है ?
“Viruddha bhaishajya vidhirvivarjya” is the treatment of which unmaad ?
तैरल्पसत्वस्य मला: प्रदुष्टा बुद्धेर्निवासं हृदयं प्रदूष्य ‘ किस व्याधि की सम्प्राप्ति है
“Tairalpasatvasya malāh pradushtā bhuddhernivāsam hridyam pradushya” samprāpti of which vyādhi
चरक अनुसार स्मृतिनाश किस व्याधि में होता है ?
According to Charak, smrutinash occurs in which disease ?
आचार्य चरक ने उन्माद की चिकित्सार्थ किसकी पूजा का निर्देश किया है ?
Āchārya charaka has asked to pray which God for the treatment of Unmāda
उन्माद का प्रथम हेतु क्या है
Prathama hetu of Unmāda is
निम्न में से चरक ने महागद किसे कहा है ?
Charak has said Mahagad to which of the following ?
नारिविविक्तप्रियता’ यह लक्षण किस उन्माद का है ?
“NāriViviktaPriyatā” is the symptom of which Unmāda
शंखकेशांत सन्धि स्थित सिरा का वेधन करना चाहिए
Shamkha keshanta samdhi sthita sirāvedhana is done in
चरक संहिता में अपस्मार चिकित्सा में नस्य के लिए कौनसे मूत्र का उल्लेख नही है ?
Nasya of which Mūtra is not explained in Apasmāra Chikitsā by Charaka Samhitā
किस उन्माद में ताडनादी कर्म निषेध है ?
Tādanādi karma is contraindicated in which vyādhi
आयुर्वेद के आठ अंगों में से भूतविद्या का वर्णन चरक में कहाँ पर उपलब्ध है
Where is Bhūta Vidhyā among Ashtāmga of Āyurveda explained in Charaka
अपस्मार चिकित्सा में उद्वर्तनार्थ इनमें से क्या वर्णित नही किया गया है ?
What is not explained for Udvartana in Apasmāra Chikitsā