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संशोधन से उत्पन्न लंघन मे किस प्रकार का विहार करना चाहिए ?
What Vihāra is indicated for the lamghana due to Samshodhana
हसन्तिका की अग्नि का प्रयोग कौनसे स्वेद में किया जाता है ?
Use of Hasntikā Agni is indicated in which sweda
चरक ने पिण्ड स्वेदनार्थ किसकी विष्ठा प्रयोग करने को कहा है
Vishtha of which of the following animals is advised to be taken for Pinda swedartha according to Acharya Charak
” तन्द्रा क्लैब्यबुद्धित्वमशस्तस्वपन्नदर्शनम् ” – यह किस अवस्था के लक्षण हैं ?
“Tandrā KlaibyaBuddhi tvamshastasvapnanadarshanam” this is the symptom of which if the following avasthā
आमाशय में वात प्रकुपित होने पर कैसा स्वेद क्रम होना चाहिए
Sweda krama in the vitiation of Vata in Amashya is
चरकानुसार स्वेदन के योग्य रोगी हैं
According to Acharya Charak which of the following conditions is suitable for swedana karma
” ऊध्वर्गा वातरोगाश्र्च वाग्ग्रहश्र्चाधिको भवेत् ” – यह किस अवस्था के लक्षण है ?
“Urdhvagā vātarogāshcha vāggrahashchādhiko bhaveta” symptom of which of the following
स्वेद के अतियोग में किस ऋतू की चर्या करनी चाहिए
Which Ritucharya palan is indicated to be followed in the atiyoga of Swedana karma
स्वेदन कर्म के अयोग्य रोगी हैं
Ayogyas in Swedana karma are
” ष्ठीवनं हृदयाशुद्धिरुत्कलेशः श्र्लेष्मपित्तयोः ” – यह शोधन की किस अवस्था के लक्ष्ण है ?
“Shthīvanam hridayāshuddhirutkaleshah shleshmapittayoh” this is which stage of shodhana
अवगाहन स्वेद किस स्वेद का भेद है
Which of these Swedana types is Avagahan Sweda a subtype of
चरक ने स्वेद के अतियोग की चिकित्सा में कौन सी ऋतुचर्या का पालन निर्दिष्ट किया है
Which Ritucharya palan is indicated by Acharya Charak in the Swedan Atiyoga
वैद्य मानी से क्या अभिप्राय है ?
What does Vaidhya mānī mean
चरक ने स्वेदाध्याय में स्वेद के कितने द्वंद्व वर्णित किये है
How many dwandas of Sweda are described in Swedadhyay of Charak Samhita
चरकानुसार अतिस्वेद के लक्षण हैं
Lakshanas of Atisweda according to Acharya Charak are
“नरं विरेचयति यं स योगात् सुखमश्रते ” – यह किस सन्दर्भ मे कहा गया है ?
“Naram virechayati yam sa yogāta sukhamashrate” has been said in context of
निम्न में से निरग्नि स्वेद नही हैं।। चरक
Which of these is not a Niragni Sweda according to Acharya Charak
चरकानुसार हृदय प्रदेश में स्वेदन हेतु द्रव्य है
According to Acharya Charak dravya for Swedana of Hridya pradesh is
“याभि: क्रियाभिर्जायन्ते शरीरे धातव: समा:।” चिकित्सा की यह परिभाषा कहाँ दी गयी है
“Yābhih kriyābhirjāyante sharire dhātavah samāh “ where is this definition of chikitsa found?
जेंताक स्वेद मे चबूतरे की लम्बाई चौड़ाई होती है
Length and width of platform in jentāka sweda is –
स्वेदनकाल में नेत्र सुरक्षा हेतु द्रव्य है
Dravyas employed for the protection of netra in swedana kaala
वातकफज रोगों में उपयोगी स्वेदन है
Type of sweda used in vatakafaj rogas
चरक अनुसार नाडी स्वेद मे नाडी की लम्बाई है
According to charak, length of Nādī in Nādī sweda
किस स्थान पर स्वेद निषिद्ध है ?
Sweda is contraindicated in which sthana
” मलापहं रोगहरं बलवर्णप्रसादनम् ” – इस श्लोक का रेफरेन्स बताये ?
“Malāpaham rogaharam balavarnaprasādanam” reference of this shloka
महास्वेद का प्रयोग किस काल में करना चाहिए
In which kaala is mahaswed used
वंक्षण प्रदेश में अनुक्रम से किस प्रकार का स्वेद देने का निर्देश है ? ( चरक )
Which type of swedana is done in sequence on Vamkshana pradesha (charaka)
चरकानुसार आमाशयगत वात में प्रयोज्य स्वेद है –
Type of sweda used in Amashyagata vāta according to Acharya Charak is –
संसर्जन क्रम के दौरान भात को किसके युष के साथ सेवन करवाना चाहिए ?
During Samsarjana krama bhāta should be consumed with which yusha?
किस प्रकार के रोगों के शमन हेतु स्वेदन का प्रयोग करते हैं
Swedana is used for the shamana of which type of rogas
पक्वाशयाश्रित कफमें कौनसा स्वेद करते है
Which sweda should be done in pakvāshaya āshrita kapha ?
वमन कर्म के कितने देर बाद धूम्रपान करवाना चाहिए ?
After how long dhumrapāna should be done after vanama karma?
चरक द्वारा निर्ग्नि स्वेद के प्रकार हैं
Types of Niragni sweda by Charaka
चरकानुसार प्रथम निराग्नि स्वेद है
According to Charaka , first nirāgni sweda is –
चरक ने वमन के कितने उपद्रव बताएं है ?
How many Upadrava of Vamana charaka explained
आचार्य चरक अनुसार अग्नि स्वेद के प्रकार है –
Types of agni sweda by Acharaya Charaka
चरक ने जेंताक स्वेद के लिये कूटागार का प्रमाण कितना निर्दिष्ट किया है
Pramāna of Kūtāgāra by charaka, for Jemtāka sweda
निशोथ कल्क की विरेचनार्थ मात्रा है
Mātrā of Nishotha kalka for the procedure of virechana ?
स्वेदन क्रिया के पश्चात् ” स्वेदन का आना ” किस का घोतक है ?
After swedana, sweating is the indication of
चरकानुसार प्रथम वर्णित साग्नि स्वेद है
Which of these is the first to be described in Sagni Swedas according to Acharya Charak
फेनिलरक्तचन्द्रिकोपगमनमित्य’ लक्षण है
“PhenilaRaktaChandrikopagamanamitya “ is the symptom of
” शुष्काण्यपि हि काष्ठानि ….। नमयन्ति यथान्यायं किं पुनर्जीवतो नरान् ।। – यह उपमा किस सन्दर्भ मे दी गयी है ?
“Shushkānyapi hi Kāshthāni……….| Namayanti Yathanyāyam Kim punarjīvato Narān” is said in the reference of
चरकानुसार रात्रि में बांधे हुए स्वेद का खोलने का समय है
According to Acharya Charak what is the accurate time to remove the upnaah tied during night time
चिकित्सा प्राभृत अध्याय पर किस चतुष्क की समाप्ति होती है ?
Which chatushka is complete at Chikitsā Prābhrita Adhyāya
” पुरिषमुत्ररेतांसि न संज्जन्ति कथंचन ” – यह किसके लाभ है ?
“, Purishamūtraretāmsi Na Samjjanati Kathanchana” is the benefit of
उपनाह स्वेद के सन्दर्भ में निम्न में से असत्य है
Which of the following statements is untrue in context to Upnaha sweda
” प्रवृत्ति हेतुर्भावानां न निरोधेस्ति कारणम् ” इस श्लोक का रेफेरेंस बताये ?
“Pravriti heturbhāvānām na nirodheasti kāranama” find the correct reference
“….प्रशाम्ययन्ति गदा वातकफात्मकाः। “- यह किस सन्दर्भ मे कहा गया है ?
“………..Prashāmyanti Gadā Vātakaphātmakāh| ” is the reference of
चरक ने कफजन्य रोगों में किन द्रव्यों से पिण्ड स्वेद निर्दिष्ट किया है
Which of the following dravyas is advised to be taken for Pinda Sweda in Kafajanya Rogas according to Acharya Charak