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जो वस्तु जैसी है उसे उसी प्रकार का और यथार्थ रूप में ग्रहण करना या अनुभव करना क्या कहलाता है ?
“To feel the object in the way it is and in its original condition” is called
“पौरुषोपचये स्नेहे व्यायामे चेष्यते……।। – यह किसके सन्दर्भ मे आया है ?
“Paurushopachaye Snehe Vyāyāme Cheshyate………” Is the context of
वमन कर्म के कितने देर बाद धूम्रपान करवाना चाहिए ?
After how long dhumrapāna should be done after vanama karma?
लौकिक और अलौकिक किसके भेद है ?
Laukika and Alaukika are the types of
“निर्वापणं मृदुकरं स्वरवर्णप्रसादनं ” – किसके सन्दर्भ मे आया है ?
“Nirvāpanam Mrudukaram Swaravarnaprasādanam” is in the context of
वमन द्रव्य पान के पश्चात् कितने समय तक वेग की प्रतीक्षा करनी चाहिए ?
Time to wait, for Vamana Vega after taking vamana dravya
किस इन्द्रिय की व्याप्ति सभी इन्द्रियों में है
Which indriya pervades the other indriyas?
चैवोत्तमं ……. संस्कारस्यानुवर्तनात् ।। यह किसके सन्दर्भ मे आया है ?
“Chaivottamam…… Samsakārasyānuvartanam” is in the context of
” प्रतिपुरूषमपेक्षितव्यानि भवन्ति ” – यह किस विषय में आया है ?
“Pratipurushamapekshitavyāni Bhawani” is in the reference of
“कर्ता गर्भाकृतीनाम् ” – किसके सन्दर्भ मे आया है ?
“Kartā Garbhākrutinām” is in the context of
स्थावर तैलौं मे विरेचन के लिए कौन सा तैल उत्तम है ?
Which is the ideal taila for virechana in all sthāvara taila ?
रोगी के स्नेहन – स्वेदन के दौरान यदि कोई शारीरिक या मानसिक तीव्र रोग उत्पन्न हो जाता है तो वैद्य को कितने दिनों बाद संशोध्न पुनः करना चाहिए ?
During Vamana and Virechana of the patient, if patient gets acute physical and mental diseases then after how many days the Vaidhya should repeat the process
शरीर में अस्वाभाविक वर्ण का होना किसका लक्षण है
Unnatural complexion (asvabhāvika varna) of body is the symptom of?
काण्डभग्न में चिकित्सार्थ उपयोगी है –
Useful in Kāndabhagna for treatment purpose is –
“सूक्ष्माणि हि दोषभेषजदेशकालबलशरीराहारसात्मययसत्तवप्रकृतिवयसामवस्थान्तराणि “- इस श्लोक का रेफेरेंस बताये ?
“Sūkshamāni hi doshabheshajadeshkālabalasharīrāhārasātmyasatwaprakrutivayasāmavasthāntarāni” tell the reference of
नियन्ता प्रणेता च मनस:’ किसके लिए कहा गया है
“Niyantā pranetā ch manasah “ has been said for?
वसा मज्जा सेवनकाल –
Vasā majjā to be consumed in
“सम्यग प्रयोगनिमित्ता हि सर्वकर्मणां सिद्धिरिष्टा , व्यापञ्चासम्यकप्रयोगनिमित्ताः ” – यह किस सन्दर्भ मे कहा गया है ?
“Samyaga Prayoganimitta hi sarvakarmanām Siddhivinayak, Vyāpanchāsamyakaprayoganimittāh” is the reference of
ज्ञान अज्ञान की उत्पति में कारण दोष क्या है
What is the causative dosha in the occurrence of gnāna agnāna ?
स्नेह व्यापद की चिकित्सा है। चरक
According to charaka, treatment of sneha vyāpada is
हृदयोपसरणमंगग्रहो’ किसके लक्षण बताये गए हैं
“HridyaUpasaranamaAngagraho”is the symptom of
संधानकरः शरीरस्य’ किसके संदर्भ मे कहा गया है
“Samdhānakarah sharirasya” this has been said in the context of
सम्यक् स्निग्ध के लक्षण मिलने के कितने दिन पश्चात् विरेचन द्रव्य दे
Virechana should be performed after how many days of proper oleation symptoms are visible?
संशोधन से उत्पन्न क्षीणता मे किस प्रकार का आहार लेना चाहिए ?
What Āhāra is indicated for weakness due to samshodhana ?
दारुण गुण का सन्दर्भ है –
Dāruna guna is related to –
“पक्ता खरत्वं रौक्ष्यं च” किसका लक्षण है
“Paktā kharatvama raukshayama cha “ is the symptom of
” दोषाणां च द्रुमाणां च मूलेअ्नुपहृते सति । रोगाणां प्रसवानां च गतानामागतिर्ध्रवा ।। ” – यह उपमा किसके लिए दी गयी है ?
“Doshānām cha drumānām cha mūleanupahrite sati. Rogānām prasavānām cha gatānāmāgatirdhruvā. This upamā has been given for
स्नेह सेवन जन्य उपद्र्व की चिकित्सा निम्न में से किस प्रकार करनी चाहिए ?
Which type of the following treatment should be done in Upadrava due to Sneha Sevana
“प्राथमकल्पिक:” किसे कहा गया है
What’s is called “Prāthamakalpikah”?
दोषाः कदाचित कुप्यन्ति जिता लंङ्घन पाचनैः । – इस श्लोक का रेफेरेंस बताये ?
Doshāh kadāchita kupyanti jitā lamghana pāchanaih. Correct reference of this stanza
“उष्णोदकोपचारी स्याद्बहम्चारी क्षपाशयः ” – यह किस सन्दर्भ मे आया है ?
“Ushnodakopachārī Syādbruhmachārī Kshapāshayah” is in the reference of
चरकानुसार हृदय प्रदेश में स्वेदन हेतु प्रयोज्य द्रव्य है
Swedana dravyas in Hridya region according to Acharya Charak
” जरां कृच्छेण लभते चिरं जीवत्यनामयः ” – यह किसके लाभ है ?
“Jarām krichchena labhate chiram jīvatyanāmayah” these are benefits of
” रुक्षा भाराध्वकर्शिताः ” – इस अवस्था मे किस स्नेह का पान करना चाहिए ?
“Rukshā Bhārādhvakarshitā” in this stage which Sneha should be used
स्वेदनकाल में नेत्र सुरक्षा हेतु द्रव्य है
Dravyas employed for the protection of netra in swedana kaala
दौर्बल्य , लाघवं , ग्लानि – यह शोधन की किस अवस्था के लक्षण है ?
Daurbalya, lāghavam, glāni- these are the symptoms of which avasthā of Shodhana
विशेष अनुपान के अभाव मे सभी स्नेह पान के पश्चात् किसका पान करना चाहिए ?
In the absence of any specific Anupāna, which should be taken as Anupāna after Snehapāna
मृदु स्वेद के स्थान क्या हैं
Sthanas for Mridu Sweda are
क्रोध , लोभ, अहंकार , ईर्ष्या – किस इन्द्रिय से सम्बंदित है ?
Krodha, lobha, ahemkāra, Irshyā are related to which Indriya
आनाह, अरुचि,उदर शूल- किस समय स्नेह पान के उपद्रव है ?
Ānāha, Aruchi and Udarashūla is the Upadrava of which time of Snehapāna
चरकानुसार आमाशयगत वात में प्रयोज्य स्वेद है –
Type of sweda used in Amashyagata vāta according to Acharya Charak is –
कार्य से कारण का अनुमान क्या कहलाता है?
Anumāna of Kārana by Kārya is called
मूर्च्छा , उन्माद ,प्यास और कामला – यह उपद्रव किस समय स्नेह पान करने से उत्पन्न होते है ?
Mūrchchhā, Unmāda, Trishnā and Kāmalā are the Upadrava of which time of Snehapāna
वमन औषध पान का काल क्या है ?
What is Vamana Aushadha Pāna kāla
न्याय दर्शन के अनुसार प्रत्यक्ष पूर्वक अनुमान के कितने प्रकार है ?
Pratyaksha pūrvaka anumāna according to Nyāya darshana are
“विशेषतोअ्स्थ्नां च बलकृत् स्नेहने हितः ” – यह किसके सन्दर्भ मे आया है ?
“VisheshatoAsthnām cha Balakruta Snehana hitah” is the reference of
संसर्जन कर्म के दौरान यवागु के पश्चात् क्या सेवन करवाना चाहिए ?
What should be consumed after yavāgu during Samsarjana krama