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चिकित्सा का चतुष्पाद कितने गुणों से युक्त है ?
How many qualities does chatushpāda of chikitshā have
खुड्डाक शब्द का अर्थ है
What does word “Khuddāka” mean
“भेषजम् अभेषेजन अविशिष्टम् इति” यह वाक्य किसने कहा है
“Bheshajama abheshejana avishishtama iti” this has been said by
चरक अनुसार चिकित्सा के चतुष्पाद का क्रम क्या है ?
According to charaka sequence of chatushpāda of chikitshā is
किस चतुष्क का प्रथम अध्याय ‘खुड्डाकचतुष्पाद’ अध्याय है
First chapter of which chatushka is “Khuddāka Chatushpāda”
गर्भिणीवृद्धबालानाम् नात्युपद्रवपिडितम्’ निम्न में से किस रोग का लक्षण है
“GarbhinīVriddhaBālānāma nātyaupadravamapiditama” is the symptom of which of the following disease?
“शास्त्रं ज्योति: प्रकाशनार्थ दर्शनं बुद्धिरात्मान:” – कहाँ का सन्दर्भ है ?
“Shāstram Jyotih Prakāshanārtham Darshanam Buddhirātmanah” is the reference of
श्रुते पर्यावदातत्वम् is guna of
“Shrutēpaṛyāvadātavyama” is the guna of-
नित्यानुशायिनम् रोगं ‘ स्वरूप निम्न में से किस रोग का है
“Nityāushāyinama rogam” is the svarūpa of which of the following disease?
निम्नलिखित में से कौनसा वर्ग गुण या दोष उत्पन्न करने के लिए पात्र की अपेक्षा करता है ?
Which of the following section requires a character to produce Guna and deformities
प्रवृति:धातुसाम्यार्था is
“Pravrutidhāsāmyārthā” is
कौन से रोगों के पूर्वरुप व रूप मध्यम बल के होते हैं
Pūrvarūpa and rūpa of which diseases are of medium strength(madhyama bala)?
“हेतौ लिङ्गे प्रशमने रोगाणामपुनर्भवे।” किस वैद्य का लक्षण है ?
“Hetu Limgeprashamane Rogānāmapunarbhave” is the quality of which Vaidya
“हेतवः पूर्वरूपाणि रूपाण्यल्पानि यस्य च।” ………. का परिचायक है।
“Hetavah pūrvarūpāni rūpānyalpāni yasya cha…….” is related to ?
अतुल्य गुण वाले दोष दूष्य से किस प्रकार के रोग होते हैं
Which type of disease is produced due to atulya Guna dosha dushya?
निम्न में से वैद्य की वृति नही है
Which of the following is not vaidhya vriti
औत्सुक्यारतिसंमोहकरमिन्दियनाशनम् – यह किस रोग का स्वरुप है ?
“Autsukyāratisammohakaraminndriyanāshanam” is the pūrwarūpa of
साध्य रोग के प्रकार है –
Types of Saadhya roga
“स्मृतिनिर्देशकारित्वं अभीरुत्वं” किसका गुण है
“Smriti nirdeshakāritvam abhīrutvam” is guna of
” शेषत्वादायुषो , पथ्यसेवया ” किस रोग का स्वरूप है ?
“Sheshtwādāyusho, Pathyasevayā” is s the pūrwarūpa of
“गम्भीरं बहुधातुस्थं मर्मसंधिसमाश्रितम ” is described for
“Gambhīram bahudhātustham marmasandhisamāshritam” is said for
वैद्य की प्रधानता का क्या कारण है
Reason of Vaidhya pradhānatā is
दोषश्र्चैकः समुत्पत्तौ देहः सर्वौषधक्षमः ।। यह किस रोग का स्वरूप है ?
“Doshaschaikah Samutpattau Dehah Sarvaushadakshama||”
भिषजा प्राक् परीक्षयैवं विकाराणां स्वलक्षणम् । पश्चात् कर्मसमारम्भः कार्यः साध्ययेषु धीमता ।। – इस श्लोक की रेफरेन्स बताएं ?
“Bhishjā Prāk Parīkshayaivam Vikārānām Svalakshanam| Paschāt Karma Samārambhah Kāryah Sadhyeshu Dhīmatā|| the reference of the above said shloka is
“तस्माच्छास्त्रेऽर्थविज्ञाने प्रवृत्तौ कर्मदर्शने”। यह किसका लक्षण है
“Tasmātashāstre arthavijnāne pravritau karmadarshane” this is symptom of
“गतिरेका नवत्वं च रोगस्योपद्रवो न च ।।” यह किस रोग का स्वरूप है ?
“Gatirekā Navatvam cha rogasyaopadrawo na cha||” is the pūrwarūpa of
असाध्य रोगों की चिकित्सा करने पर वैद्य को क्या प्राप्त होता है ?
With what a Vaidhya is awarded when he treats the Asādhya roga
पात्र की अपेक्षा किसे होती है
Pātra apekshā krita
अर्थविद्यायशोहानिमुपकोशमसंग्रहम् …।। इस श्लोक का रेफरेन्स बताये ?
“Arthavidhyāyashohānimupkoshamasamgraham” the the reference of the above said shloka is
क्षीण रोगी की चिकित्सा किस प्रकार करनी चाहिए ?
Treatment of cachectic person should be done in which way ?
विज्ञाता, शासिता और योक्ता होता है
Vijnātā, Shāsitā and yoktā is
” न्यूनान् धातून् पूरयामः , व्यतिरिक्तेन ह्रासयामः ” इस श्लोक का रेफेरेंस बताये ?
“Nyūnān Dhātun Pūryāmah, Vyatiriktena Hrāsyāmah”the reference of the above said shloka is
दोष युक्त रोगियो की चिकित्सा किस प्रकार करनी चाहिए ?
How to treat the patients with dosha
कितने विषयों का ज्ञान रखने वाला वैद्य राज वैद्य होने योग्य होता है ?
Vaidhya having Knowledge of how many subjects is known as Rāja Vaidhya
चिकित्सा चतुष्पाद में “स्मृतिनिर्देशकारित्वं” किसका गुण है
“Smriti nirdesha kāritvam” is guna of which among the Chikitsā Chatushpāda
कृश और दुर्बल रोगियों की चिकित्सा किस प्रकार करनी चाहिए ?
Which type of treatment is done for krusha and Durbala patients
औषध करना और न करना इन दोनों में कोई विभिन्नता नही है – यह शंका किस आचार्य की है ?
“Doing treatment or not there is no difference in it” this is said by
प्राणाभिसार वैद्य कितने कर्मों में तत्पर रहता है ?
Prānābhisāra Vaidhya is ready for how many karma
किस बुद्धि को ब्राह्मी बुद्धि कहा गया है
Which buddhi is called Brāhmī buddhi
” परीक्षय कारिणो हि कुशला भवन्ति , यथा हि योगज्ञोअ्भ्यासनित्य ” इस श्लोक का रेफरेन्स बताये ?
“Parīkshaya kārano hi Kushalā bhavanti, Yathā hi yogajnoabhyāsanotya” the reference of this Shloka is
” वरमात्मा हुतोsज्ञेन न चिकित्सा प्रवर्तिता ” यह किसके सन्दर्भ मे कहा गया है ?
“Varamātmā hutoajnena na chikitshā pravartitā” is said in the context of
निम्न में से ज्ञापक किसका गुण है ?
Gnāpaka is the quality of which of the following ?
कितनी कलाओं से युक्त चतुष्पाद भेषज होता है ?
Chatushpāda bhaishaja has how many Kalās
पाद त्रय से क्या वर्णित है ?
Which is described by Pāda Traya
प्राणाभिसर वैद्य की प्रवृति किस विधि में होती है
Pravriti of Prānābhisara Vaidhya is known by
नातिपूर्णचतुष्पादं’ किस रोग का लक्षण है ?
“Nātipūrnachatushpādam” is the symptom of which roga ?
युद्ध में विजय प्राप्ति की इच्छा से प्रवृत्त सेनापति की तुलना किसके साथ कि गयी है ?
Comparison of the commander desperate For getting victory in battel field is made with
चिकित्सा चतुष्पाद का तात्पर्य है
What does Chikitsā Chatushpāda mean
कालप्रकृतिदुष्याणां सामान्येSन्यतमस्य च’ किसका लक्षण है ?
“Kālaprakritidushyānām sāmānye anyetamasya cha” is the symptom of –