0 of 48 Questions completed
Questions:
You have already completed the quiz before. Hence you can not start it again.
Quiz is loading…
You must sign in or sign up to start the quiz.
You must first complete the following:
0 of 48 Questions answered correctly
Your time:
Time has elapsed
You have reached 0 of 0 point(s), (0)
Earned Point(s): 0 of 0, (0)
0 Essay(s) Pending (Possible Point(s): 0)
Average score | |
Your score |
Pos. | Name | Entered on | Points | Result |
---|---|---|---|---|
Table is loading | ||||
No data available | ||||
“शांताङ्गारप्रकाशोSतिरक्तो वा भवति” किस विसर्प का लक्षण है
“Shāmtāngāraprakāshoatirakto vā bhavati” is the symptom of which Visarpa
क्षय कास मे उपयुक्त घृत निम्न मे से किस व्याधि मे उपयुक्त होते है ?
Ghrita used in kshaya kāsa, is also useful in which of the following diseases
चरकानुसार तृष्णा के कितने भेद है ?
Types of Trishnā by Charaka
स्थान (अधिष्ठान) के अनुसार विसर्प के भेद हैं
Types of visarpa according to sthāna
तृष्णा नाशक द्रव्य का स्पर्श किस अंग मे करना निर्दिष्ट है ?
Trishnā Nāshaka dravya should be touched to which part of the body
“उष्णजल” निम्न मे से किस व्याधि की चिकित्सा है?
“Ushna jala” is treatment of which disease
“स्थानात आसनात शय्या क्रान्त” किस विसर्प का लक्षण है ?
“Sthānāta āsanāta shayyā krānta” is the symptom of which Visarpa
तृण पञ्चमूल साधित जल मे क्या मिलाकर रोगी को देना चाहिए ?
What should be mixed with water prepared with Trana panchmūla to the patient of Trishnā
“संशुष्कहृदयगलतालु:” किस तृष्णा का लक्षण है
Samshushka Hridaya gala tālu is the symptoms of which Trishnā
कम्पिल्लकादि तैल का रोगाधिकार है
Rogādhikāra of kampillakādi taila is
तृष्णा रोग की चिकित्सा मे किस पंचमूल का प्रयोग निर्दिष्ट है ?
Which panchmūla is indicated in the treatment of Trishnā roga
तृष्णा रोग में ऐन्द्र जल के अभाव में कुल निम्न गुण युक्त जलपान प्रशस्त माना गया है
In the absence of Endra jala, water with how many qualities is best for trishnā roga
आभ्यन्तर में आश्रित विसर्प की साध्यासाध्यता है
Sādhyāsādhyatā of ābhyāntara āshrita visarpa
ऐन्द्र जल के अभाव मे किस अनुरस युक्त जल का सेवन करना चाहिए ?
In the absence of Aindra jala, the jala used in the treatment of Trishnā should have the following Anurasa
तिक्तास्यत्व किसका लक्षण है
Tiktāsyatva is the symptom of
आचार्य चरक मतानुसार , विसर्प के प्रकार है –
According to Āchārya Charaka, types of Visarpa are –
” तप्तास्विव सिकतासु हि तोयमाशु शुष्यति क्षिप्तम् ” ” – निम्न मे से किस तृष्णा के सन्दर्भ मे आया है ?
Taptāswiva sikatāshu hi Toyamāshu shushyati kshiptam is the reference of which Trishnā
सन्निपातजन्य रोग में पान योग्य प्रशस्त जल
What type of water one should drink in Sannipātaja roga
चरक के अनुसार विसर्प के प्रकार है –
According to Charaka types of visarpa ?
” गुर्वन्नपयःस्नेहैः संमूर्च्छाद्भिर्विदाहकाले च ” – निम्न मे से किस तृष्णा का लक्षण है ?
Gurwannpayah snehaih sammūrchchādibhi vidāhakāle is the lakshana of which Trishnā
“सर्वासां लिंगानां लाघवमपाय:” किसका पुर्वरूप है
Sarvāsām lingānām Lāghwampāyah is the pūrwarūpa of
चरक में कैलाश किन्नर का उल्लेख कहाँ हुआ है
Where is kailāsha kinnar mentioned in charaka samhita
” सा शोषिणी कष्टा ” – निम्न मे से किस तृष्णा का लक्षण है ?
Sā shoshinī kashtā is the lakshana of which Trishnā
यदि सन्निपातज व्याधि हो, तो रोगी को किस प्रकार का जल पिलाना चाहिए ?
A patient suffering from Sannipātaja vyādhi should be given what type of water
कुणपगन्धि विसर्प कौन सा है
Which one is kunapagandhi visarpa
“दीनस्वरः प्रताम्यन्” – निम्न मे से किस तृष्णा का लक्षण है ?
Dēnaswarāh Pratāmyan is the lakshana of which Trishnā
बाधिर्य किस व्याधि का लक्षण है
Bādhirya is the symptom of
चरकानुसार प्रलेप की मोटाई कितनी होगी?
Thickness of pralepa according to Charaka is
एकदेशग्राही विसर्प है
Ekadeshagrāhi visarpa is
” तस्यश्र्चारुचिराध्मानकफप्रसेकौ ” – निम्न मे से किस तृष्णा का लक्षण है ?
Tasyāschāru Chira ādhyamāna kapha prashekō is the lakshana of which Trishnā
विसर्प रोग में यदि दोष वातस्थान में कुपित हो तो सर्वप्रथम…
If dosha gets vitiated in Vāta sthāna in visarpa roga then what should be first line of treatment
“दुर्बलो दुखप्रबोधश्च” किस विसर्प का लक्षण है ?
“Durbalo dukhaprabodhashcha” is the symptom of which visarpa ?
” शिरसो दाहः शीताभिनन्दता मूर्च्छा ” – निम्न मे से किस तृष्णा का लक्षण है ?
Shirsodāhāh Shētābhinandata Mūrchhā is the symptoms of which Trishnā
“शीघ्रगत्वादाश्वेव मर्मानुसारी भवति” किस विसर्प का लक्षण है
“Shighragatvādāshveva marmānusāri bhavati” symptom of which Visarpa
” पानतृषार्तः पानं त्वर्धोदकमम्ललवणगन्धाढ्यम् ” – निम्न मे से किस तृष्णा के सन्दर्भ मे आया है ?
Pānayrashārtah Pānam Twardhodakamlalavanagandhādhyam is said in the reference of
” शुष्कविरसमुखता ” – निम्न मे से किस तृष्णा का लक्षण है ?
Shushkavirasamulhtāh is the lakshana of which Trishnā
उपद्रव के लक्षणों का वर्णन आचार्य चरक ने कहाँ किया है
Lakshana if upadrava are explained by charaka in
मद्यज तृष्णा मे निम्न मे से किस का पान निर्दिष्ट है ?
Which is indicated in the treatment of madhyaja Trishnā
“जिह्वानिर्गममरुचि बाधिर्य मर्मदूयनं सादम्” – निम्न मे से तृष्णा की किस अवस्था का लक्षण है ?
Jihwānirgamamaruchi Bādhiryam Marmadūyanam Sādam is the lakshana of which stage of Trishnā
मेचकाभ’ किस विसर्प का लक्षण है
“Mechkābha” is the symptom of
तृष्णा मे कफ़ का अनुबन्ध होने पर निम्न मे से किस द्रव्य से वमन करवाना चाहिए ?
Which of the following dravya is used for Vamana, when Trishnā is associated with kapha
“ताल्वोष्ठकण्ठजिह्वाकर्कशतां चित्तनाशं च ” – निम्न मे से तृष्णा की किस अवस्था का लक्षण है ?
Tālwoshthakanthajihwa Karkashatām Chittanāsham cha, is the lakshana of which stage of Trishnā
विसर्प में कफ स्थानगत सामदोष की चिकित्सा है –
Treatment of kapha sthānagata sāmadosha in visarpa is –
” व्योषवचाभल्लातकतिक्तकषाया ” – निम्न मे से किस तृष्णा की चिकित्सा है ?
Vyosha Vachā Bhallātakatiktakashāyastathā āmtrishnaghāh is the treatment of which Trishnā
तृष्णा रोग की सम्प्राप्ति मे दोष किस स्थान गत रसवाहिनी नालियों को सुखा देती है ?
In the Samprāpti of Trishnā roga, which sthān gata Rasavahini channels gets dried up
“विषमतिपतितो विवर्जनीयो भवतीति” कौन से विसर्प के लिए कहा गया है
“Vishmātipatito vivarjanīyo bhavatīti” has been said for which type of visarpa
जीवनीय गण साधित दुग्ध -घृत का प्रयोग निम्न मे से किस तृष्णा मे निर्दिष्ट है ?
Dugdha and Ghrita prepared with jēwanīya gana should be given in which Trishnā
” घोरव्याधिकृशानानप्रभवत्य ” किस तृष्णा के विषय में कहा गया है ?
Ghorvyādhi Krushānānaprabhavatya is the reference of which Trishnā