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क्षारगुटिका में क्रमशः कितने क्षार व लवण है ?
How many kshar & lavan are in kshargutika respectively ?
चरक अनुसार निम्न में से कौनसा एक, अर्श रोग चिकित्सा में सर्वोत्तम औषधि एवं आहार का काम करता है ?
According to Charaka, which one of the following acts as the best drug and food in Arsha
चरक ने साम एवं निराम मल की परीक्षा का वर्णन किस अध्याय में किया है ?
Charaka has explained Sāma and Nirāma mala parikshā in which chapter
गुडार्द्रक प्रयोग की प्रारंभ में कितनी मात्रा बताई गयी है ?
How much is the quantity of gudardrak at the starting ?
निम्न में से किस योग का वर्णन अर्श चिकित्सा में किया गया है ?
Which of the following yog is described in arsha chikitsa ?
ग्रहणी स्थित अग्नि दोषो को “ग्रहणी दोष” नाम किसने दिया हैं ?
Grahanī sthita agni dosha are named as “grahanī dosha” by whom
क्षारसूत्र प्रयोग का वर्णन चरक संहिता चिकित्सा स्थान के किस अध्याय में है ?
Use of Kshāra Sutra has been advised in which chapter of Chikitsā sthāna
आर्द्र अर्श में किस दोष का प्राधान्य है ?
Which dosh is predominant in ardra arsha –
कटु अवस्थापक किस अवयव में होता है ?
Katu Avasthāpāka is in which avayava
शोथ को दबाने पर दब जाना व पुनः उठना किसका लक्षण है
On pressing the shōtha it depresses an again rising is the symptoms of which shōtha
चरक अनुसार अर्श का हेतु है –
According to Charak, cause of arsha is –
चरक अनुसार कौनसी अग्नि विदाह उत्पन्न करती है ?
According to Charaka which agni causes vidāha ?
चरकानुसार आगन्तुज शोथ की चिकित्सा किसके समान करनी चाहिए
According to Charaka, treatment of āgantuja shotha should be done like
अर्श उत्पन्न होने का स्थान गुदा से कितने अंगुल अवकाश है ?
Site of origin of Arshad is at how much angula distance from Guda
“गृद्धि सर्वरसानां” लक्षण किस ग्रहणी का है?
” gRiddhi sarvarasānām” is the lakshana of which type of grahani ?
गण्डीराद्यरिष्ट का रोगाधिकार है
Rogādhikāra of gandirādhyārishta?
वातकफजन्य रोगों को दूर करने के लिए प्रशस्त औषध है।। चरक
What is the best medicine for the treatment caused by Vāta Kapha?
स्त्रीष्वहर्षण ..’लक्षण है –
Stīshvaharshana is the symptom of
पंचकोल घृत का रोगाधिकार है –
Rogadhikar of panchakol ghrut is –
“……… मेव परं विद्याद् दुर्बलानलदीपनम्”
“………… mev param vidyad durbal analadipanam”
अधिक स्निग्ध पदार्थ के सेवन से यदि अग्नि मन्द पड़ गयी हो तो क्या हितकारी होता है
What should be given in agni māndhya due to excessive intake of snigdha dravya
प्लीहोदर में तक्र का ……….. के साथ उपयोग करते है।
In plihodar, takra is used with ………
व्यत्यासात चिकित्सा किस ग्रहणी में की जानी चाहिए ?
Vyatyasat chikitsa should be done in which grahani ?
“नरे क्षीणकफे पित्तं कुपितम् मारुतागम्” यह पंक्ति किस व्याधि के निदान के सन्दर्भ में है
“Na kshīnakaphe pittam kupitam mārutāgama” this is in the context of nidāna of which vyādhi
उदर रोग में माहिष मूत्र एवं दुग्ध की प्रयोग अवधी है –
Duration for usage of buffaloes milk & urine in udararoga is –
चतुर्थ क्षार की मात्रा है –
Dose of chaturth kshar is –
अन्नमादानकर्मा’ किस वायु को कहा गया है
“Annamādānakarmā” has been said for which vāyu
“समीक्ष्य कारयेद्वाहै वामे वा व्यधयेत्सिराम्” किस व्याधि के चिकित्सा के सन्दर्भ में कहा गया है ?
“samikshya karayedvahe vame va vyadhayetasiram” is said in relation with treatment of which disease ?
चरक अनुसार ग्रहणी का स्थान है –
According to Charak, region of grahani is –
“अतिसृष्टं विबद्धम् वा द्रवं तदुपदिश्यते।” किस रोग का लक्षण है
“Atisrishtam vibadadham vā dravam tadupdishyate” is the symptom of which disease
उदर रोग से पीड़ित व्यक्ति का निम्न में से कैसा वर्णन किया गया है ?
The description given to an Udararogi is like
रसादि धातुओं की उत्पत्ति होती है –
Rasa etc dhatu originates –
स वातगुल्महृद्रोगप्लीहाशंकी च मानव: ‘ कौनसी ग्रहणी का लक्षण है
“Sa vātagulmahridrogaplīhāshamkī cha mānavah” is the symptom of which grahanī
अनियतो च वृद्धिह्रासौ’ कोस उदर रोग का लक्षण है
“Aniyato cha vriddhihrāsau” is the symptom of which Udararoga
“अन्नमादानकर्मा तु ……. कोष्ठं प्रकर्षति”
“Annamadanakarma tu …….. koshtham prakarshati”
अम्लोद्गार,दाह किस अग्निमांद्य का लक्षण है
Amlodagāra, dāha is the symptom of which agnimāmdhya
उदर रोग में किसकी दृष्टि होती है
What gets situated in Udararoga
अग्नि पर आश्रित होता है –
Dependent on agni is –
पिण्डासव’ का रोगाधिकार है
Rogādhikāra of Pindāsava is
पित्तज दोष में किस तक्र का उपयोग करते है ?
Which takra is used in pitt dosh ?
पथ्य और अपथ्य का एक साथ सेवन करना क्या कहलाता है ?
Intake of pathya & apathya together is called as ?
अधस्तु पक्वामामं वा प्रवृत्तं’ किससे सम्बंधित है
“Adhastu pakvamāmam vā pravritam” is related to
“परम् आलसश्चेति” किस अर्श का लक्षण है ?
“Param aalashcheti” is the symptom of which arsha ?
अन्नपाचन क्रिया में रसों की उत्पत्ति क्रमशः होती है –
Order of origin of rasa in the process of digestion is –
“जीर्णे जीर्यति चाध्मानं भुक्ते स्वास्थ्यमुपैति” किसका लक्षण है
“Jīrne jīryati chādhamānam bhukte svāsthyamupaiti” is the symptom of
धात्री का प्रयोग किस व्याधि की चिकित्सार्थ किया गया है ?
Use of dhatri is done in the treatment of which disease ?
निम्न में से अर्श की उत्पत्ति का स्थान नहीं है –
Of the following, not a place of region of arsha is –
चरक द्वारा ग्रहणी की चिकित्सार्थ वर्णित क्षार गुटिका में कितने लवण है ?
According to Charak, how many lavan are there in kshar gutika mentioned for the treatment of grahani ?
ऊसर मिटटी खाने से ….कुपित होता है
Ūshara mritikā aggravates which dosha