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पीनसजन्य स्वरभेद में किस दोष से होने वाले लक्षण पाये जाते है ?
In peenas swarabheda, symptoms resembles similar to which dosha ?
यवानीषाडव चूर्ण निर्माण में प्रयुक्त मरिच की संख्या कितनी है
Quantity of maricha in formation of yavāni shādava chūrna
“स्त्रीमद्यमांसप्रियता प्रियता चावगुण्ठने” किस व्याधि का पूर्वरूप है
“Strīmadhyamāmsaprīyatā priyatā chāvagunthane” is Pūrvarūpa of which vyādhi
“स्त्रोत्सा च यथास्वेन ……… पुष्यति धातुतः”
“Strotasa ch yathaswena ……… pushyati dhatutah”
कृच्छ्रात्प्रवर्तते’ किस स्वरभेद का लक्षण है ?
“Kruchchratpravartate” is the symptom of which swarabheda ?
राजयक्ष्मा के रोगी के लिए पथ्य दुग्ध है
Pathya dugdha for a patient of Rājayakshmā
धात्वाग्नि से होता/होती है(charak chi 8/39)
Dhātvāgni causes
राजयक्ष्मा के पर्याय है –
Synonyms of rajyakshma are –
“मन्दो विबद्धश्च स्वर: खुरखुरायते” किस स्वरभेद का लक्षण है ?
“Mando vibadhhashch swara khurakhurayate” is symptom of which swarabheda ?
“स्वप्ने केशास्थिराशीनां भस्मनश्चाधिरोहणम्” किस व्याधि का पुर्वरूप है
“Svapne keshāsthirānām bhasmanshchādhirohanam” is premonitory symptom of which disease
चरकानुसार तालिशादि चूर्ण का रोगाधिकार है
Rogādhikāra of tālīshādi chūrna
“स्त्रोत्सां सन्निरोधाच्च रक्तादिनां च संक्षयात्” किस व्याधि से सम्बंधित है ?
“Strotasam sannirodhaccha raktadinam ch sankshyat” is related to which disease ?
यक्ष्मा रोग से पीड़ित रोगी के हाथ पैर में दाह होने पर प्रयुक्त योग है
What should be advised to a patient of Rājayakshmā with burning in hands and feet
वारुणी नामक मद्य का प्रयोग किस व्याधि में बताया गया है
Vārunī named madhya has been advice in which disease
राजयक्ष्मा में घृतपान का काल है –
Time of ghrutapan in rajayakshma is –
“क्रोधो निश्वासरूपेण मूर्तिमान् निसृतो मुखात्” यह सन्दर्भ किस व्याधि की उत्पत्ति के सन्दर्भ में आया है
“Krodho nishvāsarupena mūrtimāna nisrito mukhāta” this has been said in the context of origin of which disease
किस व्याधि को “प्राणक्षयप्रदः” कहा जाता है ?
Which disease is known as “pranakshayaprada” ?
सभी प्रकार के राजयक्ष्मा …….. दोष प्रबल होते है ।
All types of rajayakshma are ………. dosh predominant .
एकादश रूप राजयक्ष्मा का नाश करता है
What pacifies the Ekādasha rupa Rājayakshmā
निम्न में से किस व्याधि से पीड़ित रुग्ण को उसके खाने में मक्खियाँ केश आदि पड़ जाने का आभास होता है ?
A patient suffering from which of the following disease feels as if flies and hair have fallen in his food and drinks?
राजयक्ष्मा में कास का स्वरूप है –
Characteristic of kaas in rajayakshma is –
चरकानुसार कफ तथा पित प्रधान यक्ष्मा में किसका मांस देना चाहिये
Which māmsa is given in kapha and pitta pradhāna yakshmā according to charaka
निम्न में से कौन सा लक्षण त्रिरूप राजयक्ष्मा के अंतर्गत नहीं आता है ?
Which of the following symptom is not among trirupa Rājayakshmā
षडरूप व एकादश राजयक्ष्मा में समान लक्षण है –
Common symptoms in shadaroop and ekadash rajayakshma are –
“अन्त्यादुर्ध्वं द्विगुणितं लेहयेन्मधुसर्पिषां ” किसके सन्दर्भ में आया है
“Atyantādürdhavam dvigunitam lehyenmadhusarpishām” has been said in context of
पुरीष रक्षा किस व्याधि में महत्वपूर्ण है ?
Purisha raksha is important in which disease
“रसः स्रोतः सु रुद्धेषु स्वस्थानस्थो विदहृयते।” किस व्याधि की सम्प्राप्ति है ?
“Rasah srotah su ruddheshu svasthānastho vidahriyate” is samprāpati of which vyādhi
” एतत् व्याधिसमूहस्य रोगेशस्य समुत्थितम्। रुपमेकादशविधम् सर्पिरग्र्यम् व्यपोहति” किस घृत के सन्दर्भ में कहा गया है
“Etata vyādhisamūhasya rogeshasya samuthitama. RūpamaEkādashavidhama sarpiragrayam vyapohati” has been said in the context of which ghrita
जुगुप्सा चिकित्सा का वर्णन किस व्याधि में किया गया है ?
Jugupsa chikitsa is described in which disease ?
“स्नेह स्वेदोपन्नानां सस्वेदं यन्न कर्शनं।” किस व्याधि का चिकित्सा सूत्र है ?
“Sneha svedopannānam sasvedanam yanna karshanam” is chikitsā sutra of which vyādhi
दो काल दन्त धावन करना किसकी चिकित्सा बताई गई है (चरक)
Dantadhāvana twice a day is the treatment of
अंसावमर्द किस प्रकार के यक्ष्मा का लक्षण है ?
Angaavamard is the symptom of which type of yakshma ?
चरक अनुसार षड् रूप राजयक्ष्मा में नहीं है
Which of the following is not in shadarūpa yakshmā
चरक संहिता के राजयक्ष्मा चिकित्सा अध्याय में किस स्वरभेद को नहीं माना है ?
Which type of Svarabheda charaka did not mentioned in Rājayakshmā Chikitsā adhyāya ?
साहस, वेगधारण, क्षय, विषमाशन हेतु है –
Saahas, Vegadharan, Kshaya, Vishamashana are causes of –
यवानी षाडव चूर्ण है
Yavānī shādava chūrna is
वारुणी मद्य का सेवन करने वाले को नही होता है
The one who drinks vārunī madhya does not suffer from
राजयक्ष्मा में किस व्याधि समान पथ्य पालन करना चाहिए ?
In rajayakshma, similar pathya should be followed as that of which disease ?
निम्न में से अपेक्षाकृत लघुत्तर है
Which of the following is laghuttara
अयथाबलारम्भ’ किसका निदान है
“Ayathābalārambha” is the cause of
राजयक्ष्मा में कौनसा स्वेद उपयोगी है ?
Which sweda is useful in rajayakshma ?
राजयक्ष्मा में निदान की संख्या है
Nidāna for Rājyakshamā are
एकादश रूप यक्ष्मा नाशक योग है
Ekādasha rupa yakshma nāshaka yoga is
राजयक्ष्मा में निर्दिष्ट पेय है –
Peya indicated in rajayakshma is –
तालीशादि चूर्ण में यदि पिप्पली का प्रयुक्त प्रमाण 4 तोला है तो मरिच कितने प्रमाण में प्रयुक्त होनी चाहिए
In tālīshādi chūrna if the quantity of pippalī is 4 tolā then what should be the quantity of marich
राजयक्ष्मा के सप्तबल का नाश किस घृत के द्वारा होता है
Which ghrita pacifies saptabala of Rājayakshmā
राजयक्ष्मा में निर्दिष्ट आहार है –
Aahar indicated in rajayakshma is –
खर्जूरादि घृत किस व्याधि का नाश करता है
Kharjūrādi ghrita cures which disease
सितोपलादि चूर्ण में यदि वंशलोचन 8 तोले हो तो एला की मात्रा कितनी होनी चाहिए
What shall be the quantity of elā if vamshalochana is 8 tolā in sitopalādi chūrna
पित्तज अरूचि में मुख किस रस से युक्त होता है ?
In pittaj arochi, mukha contains which rasa ?