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लवण के किन गुणोंं के कारण वह शीघ्र स्नेहन मे उपयुक्त होता है?
Due to which property of Lavana it is used for Sadhyah Snehana
“यथा चाक्लेद्य मृत्पिण्डमासिक्तं त्वरया जलम् ” – यह कथन किस सन्दर्भ मे कहा गया है?
“Yathā chākledhyaMrutapimdamāsaiktam Twaraya Jalam” is said in the context
” गृह्रात्यम्बु यथा वस्त्रं प्रस्त्रवत्यधिकं यथा ” – यह उपमा किसके सन्दर्भ मे दी गयी है?
Gruhāytyambu Yathā Vastram Prastravtyadhikam Yathā” is said in the reference of
योनि व्यापद और शुक्र दोषों मे किस स्नेह को बेर और त्रिफला के क्वाथ से सिद्ध करके स्नेहनार्थ प्रयोग करना चाहिए?
In Yonivyāpada and Shukra doshas for Snehana which Sneha is used to prepare with Bera kwātha and Triphalā kwātha
चक्रपाणि मतानुसार, त्रिफला के कल्क और क्वाथ से सिद्ध घृत स्नेहनार्थ किस व्याधि मे प्रयुक्त होता है?
Ghrita prepared with Triphalā kwātha and Chūrna is used in which disease for snehana
पिप्पली की कल्क और क्वाथ से सिद्ध घृत स्नेहनार्थ किस व्याधि मे प्रयुक्त होता है?
Ghrita prepared with Pippalī kwātha and Chūrna is used in which disease for snehana
निम्न में से किन का मांस रस स्नेहन करवाने के लिए हितकर है?
Which of the following māmsa rasa is suitable for snehana
प्रतिदिन मदिरा पान करने वाले व्यक्ति के लिए किस प्रकार का स्नेह पान उत्तम है?
Which of the following Snehana suitable for the person who drinks Madirā daily
चरकमतानुसार , निम्नोक्त किस स्नेह के लिए “मारुतघ्नं न च श्लेष्म वर्धनं” यह विशेष गुण बताया गया है?
As per Charaka, which of the following sneha is attributed with a specific quality as “Marutaghnam na cha shleshma vardhanam”?
दोषानुकर्षिणी, सर्वमार्गानुसारिणी ‘ है :
Doshānukarshinī, sarvamārgānusārinī is