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आचार्य सुश्रुत ने कुमारतंत्र के विषयों का वर्णन किन अध्यायों के अन्तर्गत किया है?
In which chapters, Āchārya Sushruta described Kaumāryabhritya
योनि में बृहत् कण्टकारी फल, हरिद्रा एवं दारूहरिद्रा चूर्ण धारण, किस योनिव्यापद में करना चाहिए?
In which Yonivyāpada, Dhārana of Bruhat Kantakārī phala, Haridrā and Dārūharidrā Chūrna is indicated
पंचक्षीरी वृक्ष त्वक के चूर्ण से पूरण किस योनिव्यापद में करना चाहिए?
Pūrana with Panchkshīrī twak Chūrna is indicated in which Yonivyāpada
“प्रात: प्रातनिषेवेत रसोनादुद्दहृतं रसं” किसकी चिकित्सा में निर्दिष्ट है –
“Prātah Prātanisheveta Rasonāduddhatam Rasam” is indicated in the treatment of
योनिव्यापदों की चिकित्सार्थ विशेष रूप से उपयोगी चिकित्सा उपक्रम माना गया है –
Which treatment is considered best for treatment of Yonivyāpada
एक स्त्री में निषेचन तो हो जाता है मगर गर्भ के गर्भाशय में रोपण से पूर्व ही वह बीज आर्त्तव के साथ बाहर आ जाता है तो वह स्त्री किस योनिव्यापद से ग्रस्त है?
A female gets fertilized but before the fertilized egg gets seeded into the uterus it comes out with the Ārtava, then the female is known to be suffering from which Yonivyāpada
एक स्त्री को गर्भधारण तो होता है मगर बार-बार गर्भपात हो जाता है तो वह किस योनिव्यापद से ग्रस्त है?
The female having habitual abortions, after getting pregnant every time, is suffering from which Yonivyāpada
सुश्रुत अनुसार उदावर्ता एवं फलिनी योनिव्यापद में किस दोष का प्राधान्य है?
Dosha predominant in Udāvartā and Phalinī Yonivyāpada is, according to Sushruta
आचार्य सुश्रुतमतानुसार , बन्ध्या व षंडी योनिव्यापदों में क्रमशः दोष प्राधान्य है –
According to Āchārya Sushruta , Dosha predominant in, Bandhyā and Shandhi Yonivyāpada respectively is –
सुश्रुत अनुसार पुत्रघ्नी योनिव्यापद में किस दोष का प्राधान्य है?
According to Sushruta, Dosha predominant in Putraghnī Yonivyāpada